यह अपनी किताब आमाले कुरआनी के पेज नम्बर एक सौ तिरानवे पर लिखते हैं कि जिस औरत को हैज़ ज्यादा आता हो यानी महीने के दिनों मे खून ज्यादा आता हो। तो उसे चाहिये कि तीन पर्चों पर कुरआन के पारे नम्बर चार के रुकूअ नम्बर पाँच की आयत लिखकर एक अपने पिछले दामन पर , एक अपने अगले दामन पर और एक अपनी नाफ़ के नीचे यानी अपनी शर्मग़ाह [Vagina] के ऊपर बाँध ले इससे उसके खून का आना कम हो जायेगा।

अब मेरा सवाल थानवी साहब के मानने वालों से की थानवी साहब को यह अमल कैसे पता चला, क्या कोई इस अमल को कुरान और हदीस से साबित कर सकता है, क्या कुरान की आयते और आप स् अ् व् स् का नाम अपनी शर्मगाह के ऊपर बाँध सकते हैं क्या यह गुनाह नहीं है क्या यह शिर्क नहीं है।
जबकि उस वक़्त मे औरत की नमाजें भी अल्लाह ने माफ रखी हैं और औरत उस वक़्त नापाक भी रहती है फिर कैसे कुरानी आयत और आप स् अ् व् स् का नाम उसकी शर्मगाह के ऊपर बाँध सकते हैं।


अब इस आयत का तर्जुमा भी पढ़ लीजिये।
तर्जुमा – ऐ मुहम्मद स् अ् व् स् तेरे रसूलें पाक हैं (खुदा तो नहीं) आप से पहले और भी बहुत रसूल गुजर चुके हैं, सो आपका इंतकाल हो जाये या आप शहीद हो जायें तो क्या तुम लोग जिहाद या इस्लाम से ऐसे फिर जाओगे।
कुरान- पारा-४ , रुकुअ-५


अब मुझे बतायें इस आयत से हैज़ कैसे कम होगा?

मुकेश पाण्डेय

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