सुन ले ख़ुदा ग़ौर से ज़रा
आसमाँ मेरा अब आसमाँ मेरा
नींद तोड़ के ख़्वाब उड़ गए
आसमाँ मेरा अब आसमाँ मेरा
आसमाँ मेरा अब आसमाँ मेरा बादल भींच के होंठ तर किए
आसमाँ मेरा अब आसमाँ मेरा मैं तो अकेले चल दिया
हाथों में ले के पतवार
माँझी पे मुझको नहीं था
थोड़ा सा भी ऐतबार
जश्न है जीत का, जीत का, जीत का छाले कई तलवों में
चुभे भाले कई
जलती हुई कहीं थी ज़मीं
टाले कई दर्द
या फिर संभाले कई
हौसलों में नहीं थी कमी
हम भी अड़ गए
आँधियों से लड़ गए
मैंने धकेल के अँधेरे
छीन के ले ली रोशनी मेरे हिस्से के थे सवेरे
मेरे हिस्से की ज़िन्दगी
जश्न है जीत का, जीत का, जीत का