द टेलिग्राफ़ अख़बार ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि ‘जिस किताब को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिलीज़ किया, संघ परिवार उस किताब पर प्रतिबंध लगवाना चाहता है.’

रिपोर्ट के अनुसार, इस किताब के कुछ हिस्से 1921 के मालाबार विद्रोह के सबसे प्रमुख नेता वरियामकुन्नाथ कुंजाहम्मद हाजी पर आधारित है जिन्हें दक्षिणपंथी ‘हिन्दू विरोधी’ बताते हैं.

अख़बार ने लिखा है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित इस किताब से संघ परिवार को परेशानी है, यह बात सोशल मीडिया के ज़रिये सामने आयी, लेकिन यहाँ परेशानी ये है कि किताब को ख़ुद प्रधानमंत्री ने रिलीज़ किया है.

‘डिक्शनरी ऑफ़ मारटियर्स ऑफ़ इंडियाज़ फ़्रीडम स्ट्रगल (1857-1947)’ नामक इस किताब को संस्कृति मंत्रालय और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया गया है.

यह किताब मालाबार विद्रोह के सबसे प्रमुख नेता वरियामकुन्नाथ कुंजाहम्मद हाजी पर सकारात्मक प्रकाश डालती है जिन्होंने 1921 में ब्रिटिश औपनिवेशिक ताकतों के ख़िलाफ़ उत्तरी केरल में विद्रोह किया था.

1857 के सैन्य विद्रोह से शुरू होकर स्वतंत्रता आदोलन तक का ज़िक्र करने वाली इस किताब को पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिलीज़ किया था और कहा था कि ‘जिन लोगों ने इस देश के इतिहास को आकार देने में सच्चा सहयोग किया, उन्हें याद करने और सम्मान देने की आवश्यकता है.’

मालाबार विद्रोह अनिवार्य रूप से ब्रिटिश और सामंती व्यवस्था के ख़िलाफ़ एक विद्रोह के रूप में शुरू हुआ, लेकिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम की इस महत्वपूर्ण घटना को कई ‘दमनकारी हिन्दू ज़मींदारों’ और उनके परिवारों ने अलग नज़रिये से पेश किया क्योंकि इस विद्रोह में उपनिवेशवादी ताकतों द्वारा समर्थित कई ज़मीदार खेत में काम करने वाले लोगों के हाथों मारे गये थे.

अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि दक्षिण भारत में वरियामकुन्नाथ कुंजाहम्मद हाजी को आमतौर पर एक ऐसे देशभक्त के रूप में जाना जाता है जिन्होंने अंग्रेज़ों से तब तक लड़ाई की, जब तक उनकी गोली मारकर हत्या नहीं कर दी गई. हालांकि, माना यह भी जाता है कि हाजी ने उन हिन्दू ज़मींदारों को मार डाला था जिन्होंने मालाबार क्षेत्र या उत्तरी केरल के तथाकथित निम्न जाति के किसानों को बहुत पीड़ा दी थी.

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर इस किताब के कुछ अंश काफ़ी वक़्त से सर्कुलेट हो रहे हैं, ख़ासकर वो अंश जिनमें हाजी का ज़िक्र है और इससे दक्षिणपंथी रुझान वाले लोगों को आपत्ति है. यही वजह है कि हिन्दू संगठनों ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इस किताब पर प्रतिबंध लगाने की माँग की है.

SARANG GUPTA/HINDUSTAN TIMES/SUJIT JAISWAL/AFP

रिया के पिता ने कहा- ‘कॉंग्रेचुलेशन इंडिया’

रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक चक्रवर्ती और सुशांत सिंह के मैनेजर रहे सैमुअल मिरांडा के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने शनिवार को सुशांत सिंह राजपूत के घरेलू सहायक दीपेश सावंत को भी गिरफ़्तार कर लिया.

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रिया के मामले में अब उनके पिता लेफ़्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) इंद्रजीत चक्रवर्ती ने चुप्पी तोड़ी है.

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, चक्रवर्ती ने एक बयान जारी कर कहा है कि “भारत को बधाई (कॉंग्रेचुलेशन इंडिया), आपने मेरे बेटे को गिरफ़्तार किया है, मुझे यक़ीन है कि इस कड़ी में अगला निशाना मेरी बेटी है और मुझे नहीं पता कि उसके बाद कौन है.”

FB/RHEACHAKRABORTYOFFICIAL
Image captionशौविक और रिया चक्रवर्ती

अपने बेटे शौविक चक्रवर्ती की गिरफ़्तारी के बाद जारी बयान में इंद्रजीत चक्रवर्ती ने कहा कि “आपने एक मध्यम-वर्गीय परिवार को प्रभावी ढंग से ध्वस्त कर दिया है, लेकिन ‘न्याय’ के नाम पर सब कुछ जायज़ है. जय हिन्द.”

ग़ौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत मामले में ड्रग कनेक्शन की जाँच कर रही एनसीबी की टीम ने शुक्रवार की सुबह पहले रिया चक्रवर्ती के घर पर छापा मारा था और वो पूछताछ के लिए शौविक चक्रवर्ती को साथ ले गए थे. इसके बाद एनसीबी ने लंबी पूछताछ के बाद रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक चक्रवर्ती और सैमुअल मिरांडा को गिरफ़्तार कर लिया था.

रिपोर्ट के अनुसार, शौविक चक्रवर्ती और सैमुअल मिरांडा को शनिवार को कोर्ट में पेश किया गया था और कोर्ट ने दोनों को चार दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है.

अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि एनसीबी की टीम ने रिया चक्रवर्ती के पिता इंद्रजीत से भी पूछताछ की है.

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ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में यूपी की बड़ी छलांग

द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के मामले में उत्तर प्रदेश ने दस पायदान की छलांग लगाकर दूसरे स्थान पर अपनी जगह बनाई है.’

अख़बार लिखता है कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने शनिवार को राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग जारी की जिसमें उत्तर प्रदेश 10 स्थान की छलांग के साथ दूसरे स्थान पर पहुँच गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू व वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए केंद्र सरकार हर साल ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रेटिंग जारी करती है. राज्यों में कारोबारी माहौल को सुधारने के लिए भी यह आँकड़ा जारी किया जाता है. इस रैकिंग से पता चलता है कि व्यापार में सुधार के लिए कौनसा राज्य कितना बेहतर काम कर रहा है जिससे कि निवेशक उन राज्यों में व्यापार बढ़ाने के लिए आकर्षित हों.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को साल 2019 के लिए यह रैंकिंग जारी की.

रिपोर्ट के मुताबिक़, तेलंगाना पिछली बार दूसरे स्थान पर था जो इस बार खिसककर तीसरे पायदान पर पहुँच गया. वहीं इस साल भी आंध्र प्रदेश रैंक वन पर काबिज़ है.

रैंकिंग में पिछली बार तीसरे नंबर पर काबिज़ हरियाणा इस बार 16वें स्थान पर खिसक गया. इस सूची में मध्यप्रदेश चौथे, झारखण्ड पाँचवें, छत्तीसगढ़ छठे, हिमाचल प्रदेश सातवें, राजस्थान आठवें, पश्चिम बंगाल नौवें और गुजरात दसवें स्थान पर है. दिल्ली को इसमें 12वां स्थान मिला है.

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रेलवे में भर्ती के लिए परीक्षा 15 दिसंबर से

द हिन्दू अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने कहा है कि रेलवे क़रीब एक लाख 40 हज़ार पदों पर भर्ती के लिये 15 दिसंबर से कंप्यूटर आधारित परीक्षा कराना शुरू करेगा.

उन्होंने कहा कि इन पदों के लिये क़रीब दो करोड़ 42 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं. इनमें 35,208 पद ग़ैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणी (एनटीपीसी) के हैं, जैसे गार्ड, कार्यालय लिपिक, वाणिज्यिक लिपिक और अन्य. वहीं 1663 पद पृथक और मंत्रालयी श्रेणी जैसे आशुलिपिक आदि के हैं. और 1,03,769 पद वर्ग-एक के हैं जिनमें पटरियों का रखरखाव करने वाले, प्वाइंटमैन आदि आते हैं.

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण अब तक परीक्षा आयोजित नहीं कराई जा सकी थी.

यादव ने कहा, “तीनों श्रेणियों के पदों के लिये कंप्यूटर आधारित परीक्षा 15 दिसंबर से शुरू होगी और विस्तृत कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही की जाएगी.”

यादव ने कहा, “हमनें विभिन्न श्रेणियों में 1,40,640 पदों पर भर्ती के लिये आवेदन आमंत्रित किये हैं. इनकी अधिसूचना कोविड से पहले जारी की गई थी. इन आवेदनों की जाँच का काम पूरा हो गया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण कंप्यूटर आधारित परीक्षा पूरी नहीं हो सकी थी.”

मुकेश पाण्डेय

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