सुप्रीमकोर्ट द्वारा “अवैध” ठहराए जाने के बाद शाहीनबाग शामियाने में बैठी औरतें और मर्द। शामियाने तक पहुंच कर समर्थन जताती औरतें और मर्द। शामियाने के समर्थन में बोलने की आजादी के तहत खबरें करती मीडिया की औरतें और मर्द। चैनलों, अखबार के कालमों, विमर्शों, सेमिनारों में समर्थन के गाल बजाते बुद्धिखोर औरतें और मर्द। वैचारिक मजदूरी करते आजादी गिरोह की हर शहरी नक्सली, वामपंथी औरतें और मर्द। सोशलमीडिया में शाहीनबाग की सिंदूर मांग में भर के सुहागिन बनी घूमती औरतें और मर्द… ये सब के सब भी “अवैध” हुये।
सफूरा जरगर भी अवैध हुई और उसके कारनामे भी अवैध हुये।
बिरयानी भी अवैध हुई और वो 500 रुपयों की प्रमाणित मजदूरी भी अवैध हुई।
देश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शाहीनबाग जैसे खतरनाक राष्ट्र विरोधी प्रयोग को अवैध करार दिए जाने के बाद इस मानसिकता का बच्चा-बच्चा अवैध है।
ऐसी हर अवैध विचारधारा का समर्थक एक अवैध मानसिकता की पैदाइश है।
ऐसे सभी अवैधों के कागजों की वैध नागरिकता (सीएए) कानून के तहत कड़ाई से जांच की जानी चाहिए। इनसे कहा जाना चाहिए… न सिर्फ कागज दिखाओ और बाकायदा उसकी जांच करवाओ क्योंकि देश का सर्वोच्च न्यायालय कहता है आप सब अवैध हैं। आपका नैतिक-राजनीतिक-वैचारिक-संवैधानिक डीएनए अवैध है।
यही देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शाहीनबाग को अवैध ठहराने की वैधता है।
सत्यमेव जयते…।