आज 6 दिसंबर यानी शौर्य दिवस, आज के दिन की महानता केवल हिंदू और राष्ट्रवादी ही समज सकते है। आज करिबन 28 साल पहले मुस्लिम आक्रांता बाबर द्वारा ध्वस्त कि गयी हिंदू सभ्यता को हिंदू वो द्वारा पुनर्जीवित किया गया। बाबरी विध्वस्त मामले में आज 28 साल पुरे हुए। आज का दिन केवल एक विवादीत ढाचे को नष्ट कराने का दिन नही बल्कि देश में स्थित गुलामी के एक चिन्ह को हटाकर अपनी संस्कृति को पुना स्थापित करने का दिन है। आज 1992 के उस दिन की शौर्य गाथाएं पढने का दिन है। अपने धर्म के लिए लढ़ने की प्रेरणा लेने का दिन है। 28 साल पहिले अनुभवी हिंदु एकता को पढने का दिन है। सभी हिंदू आज राम मंदिर संघर्ष में बलीदान हूए लोगो को याद करते है। उनसे प्रेरणा लेकर अपने धर्म के लिए लढने की शपथ लेते है,और कारसेवको के निडर अभियान को नमन करते है। राम मंदिर संघर्ष इस देश के इतिहास का सबसे पुराना संघर्ष राहा है। इस संघर्ष को ना जाने हमारी कितनी पिढीयो ने आगे बढाया। आज हम सभ इस संघर्ष के इतिहास को भलीभाती जानते है। जिस राम मंदिर पुनर्निर्माण का सपना हमारे पुर्वजो ने अपने आँखो में संजोया आज वही सपना हम पुरा होते हुए अपनी आँखो से देख रहे हैं।
7 वी शताब्दी से ही भारत के इतिहास का काला अध्याय शुरू हुवा। भारत एक सौभाग्यशाली देश था। याहा के देवी देवतो वो के मंदिर, राजवाडे, वास्तू कलाए विशालकाय,वैभवशाली और सपन्न थी। जिसके वजहसे आक्रमणकारी भारत की तरफ कुच करने लगे। 7 शताब्दी के प्रारंभ से हि मुस्लिम आक्रांतावो ने भारत पर आक्रमण करना शुरू किया। 7 से लेकर 16 वी सदी तक इन मुस्लिम आक्रांतावो ने हमारे देश के बहुत से मंदिर लूटे, हमारी धन संपत्ति को लुटकर अपने साथ ले गये। सन 1528 में बाबर भारत आया उसने अपनी क्रुर निती से भारत पर कब्जा करना शुरू किया। भारत की संपत्ति लुटना, मंदिरो को तोडकर धन संपत्ति और वाहा के मौल्यवान मुर्तीयो की चोरी करना, हिंदू वो का धर्म परिवर्तन कर उन्हे मुस्लिम बनाना, बहु बेटीयो की इज्जत लुटना, गावो फसलो को बर्बाद करना ये सब इन आक्रांतावो कि नितीया थी। इसी के साहारे बाबर तत्कालीन अवध (वर्तमान अयोध्या) तक जा पहुंचा। जहा उसके सेनापती मीर बाकी ने उसके कहने पर राम मंदिर को गिराकर एक मस्जिद का निर्माण किया जिसको नाम दिया गया बाबरी। हिंदुवो ने अपने संस्कृती को कुचलते हुए अपनी आँखो से देखा, जो भी इन आक्रांतावो के बीच आया उसे मार दिया गया। तभी से हमारी पिढीया राम मंदिर की लढाई लढ रही है। ब्रिटीश साम्राज्य के दौरान भी राम मंदिर का संघर्ष ऐसे ही चलता रहा। बरसो बाद जब भारत मुस्लिम आक्रांतावो से, अंग्रेजो से आजाद हूवा तो नेहरू सरकार चाहती तो खोई होई हिंदु प्रतिको को नया जिवन प्रदान कर सकती थी लेकिन ऐसा नही हुवा। राम मंदिर का संघर्ष भी नही रूका। जमीनो से लेकर देश की अदोलतो तक संघर्ष जारी रहा। आखीर जब हिंदुवो की समय की बांध तुट गयी तो वो दिन भी आया जिस दिन हिंदुवो ने खुद ही न्याय कर दिया। लाखो की संख्या में कारसेवको ने राम मंदिर जन्म भुमी पर बने विवादित ढाचे को गिरा दिया और पहिली बार राम मंदिर की आधारशिला कारसेवको द्वारा रखी गयी।
पिछले कहि सालो सें न्यायालयो में चले रहे इस संघर्ष को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने पुर्नविराम लगा दिया और उसिके साथ हिंदू वो के जिवन का सपना भी पुरा हुवा। जल्द ही 5 अगस्त का वो दिन भी आया जिस दिन माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने शुभ हातो से राम मंदिर निर्माण का शिल्यान्यास किया। राम मंदिर निर्माण का कार्य माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में तेजी से आगे बढ़ रहा है। बहुत ही जल्द वो दिन भी आयेगा जब भव्य राम मंदिर भारत कि पेहचान का केंद्र बिंदू होगा। हमारी पिढी उन्ह सौभाग्यशाली पिढीयो में से एक है जिन्होने अपने पुर्वजो के संघर्ष को सफल होते हुए देखा।
सवाल है की, क्या ये लढाई यही तक सिमित है? क्या राम मंदिर वो अकेला ही मंदिर था जिसे मुस्लिम आक्रांता वो ने तोडा था? नही, विदेशी जानते थे कि, किसी देश पर तभी साम्राज्य प्रस्थापित हो सकता है जब उस देश की पेहचान को समाप्त किया जा सके। इसी दिशा में विदेशीयो ने काम किया। हमारी पेहचान हमारे धर्म, मंदिरो और देवी देवता वो से जुड़ी थी।भारत प्राचिन, वैभवशाली मंदिरो का गढ हुवा करता था। आक्रांत वो ने इसी पर आघात किया। राम मंदिर के अलावा बहुत ऐसे प्राचीन मंदिर रहे जिसे इन दृष्ट आक्रांतावो ने लुटा। हजारो बार लूटने के बाद भी कही मंदिर ऐसे रहे जो आज भी अपनै वैभवशाली अस्तित्व में जिवित है। जैसे ओडिशा के पुरी का जगन्नाथ मंदिर। कही बार विदेशी आक्रमानकारी यो द्वारा जगन्नाथ मंदिर को लुटा गया, लेकिन आज भी मंदिर अपने वैभव में खडा है। मुस्लीम आक्रांतावो ने कही मंदिरो को गिराकर वहा मस्जिदे बना दि। तो कही मंदिरो को खंडहर बना दिया गया।
राम मंदिर के अलावा मुस्लिम आक्रांता वो के निशाने पर बने कुछ हमारे वैभवशाली और प्राचीन मंदिरे,
1) कृष्ण जन्मभुमी मथुरा, उत्तरप्रदेश
मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभुमी पर बना कृष्ण मंदिर सन 1660 में औरंगजेब के आदेश पर गिरा दिया गया और वहा पर शाही इदगाह मस्जिद का निर्माण किया।
2) बाबा विश्वनाथ मंदिर वाराणसी,उत्तरप्रदेश
औरंगजेब ने काशी में स्थित विश्वनाथ मंदिर को तोडकर वहा पर ज्ञानव्यापी मस्जिद का निर्माण कर दिया। मस्जिद की दिवारे आज भी मंदिर के अस्तित्व की सच्चाई चिख चिख कर कहती है।
3) देवी सरस्वती मंदिर, मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश की भोजशाला कमाल मस्जिद जहा कभी राजा भोज द्वारा बनाया गया माँ सरस्वती का मंदिर हुवा करता था। परमार वंश के राजा भोज ने 1034 में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर पर आक्रमण किया। उसके बाद भी अलग अलग मुस्लिम आक्रांतावो ने मंदिर पर हमले किये पहिले तो मंदिर का रुपांतर दरगाह और उसके बाद मस्जिद में कर दिया गया।
4) सोमनाथ मंदिर काठियावाड, गुजरात
गुजरात का सोमनाथ मंदिर अतिप्राचीन और वैभवशाली मंदिरो में से एक है। इसका उल्लेख महाभारत में भी किया गया है। इस मंदिर पर भी मुस्लिम आक्रांतावो के कही बार हमले हुए और मंदिर को लुटा गया। पहिली बार 725 ईस्वी में मंदिर पर सिंन्ध के सुभेदार नवाब अल जुनैद ने हमला किया और उसे तोड दिया। तब से कहीयो ने तोडा। औरंगजेब ने भी 1665 और 1706 में दो बार मंदिर को क्षती पहुंचाई। आझादी के बाद गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया।
5) माँ भद्रकाली देवी मंदिर अहमदाबाद,
गुजरात
आज माँ भद्रीकाली देवी के मंदिर की जगह अहमदाबाद में जामा मस्जिद है। ये मस्जिद अहमद शाह द्वारा सन 1424 में बनाई गयी थी। मस्जिद के पिलर्स पर आज भी ओम और कमल सहित अन्य हिंदु प्रतिको को देखा जा सकता है। आज भी मस्जिद की अंदरूनी बनावट वही है जो कभी माँ भद्रीकाली के मंदिर की हुवा करती थी।
6) मार्तण्ड सुर्य मंदिर अनंतनाग, कश्मीर
कश्मिर घाटी में लगभग 8 शताब्दी में विशालकाय सुर्य मंदिर को मुस्लिम शासक सिकंदर बुतशिकन ने तूडवाया था। ये मंदिर भारत की हिंदू सभ्यता का एक उत्कृष्ट नमुना था, जिसे कर्कोटा समुदाय के राजा ललीतादित्य मुक्ती पाडा ने 725-61 ईस्वी में बनवाया था।
7) हम्पी के मंदिर हम्पी डम्पी, कर्नाटक
हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगरम साम्राज्य की राजधानी हुवा करता था। यहा दूनिया के सबसे बेहतरीन, विशालकाय मंदिरो की शृंखला हुवा करती थी। इसी वजहसे हम्पी को ‘मंदिरो का शहर’ इस नाम से भी जाना जाता था। लेकिन राजा कृष्णदेव राय के मौत के बाद मुस्लिम आक्रांतावो ने जगह जगह आक्रमण किए, मंदिरो के शहर को खंढहर में परिवर्तित कर दिया।
उपरी तो कुछ नमूने है। जब हम वामपंथीयो द्वारा लिखा इतिहास छोड सही इतिहास पढेंगे तो समज आयेगा की किस तरह से भारत की हिंदू सभ्यता को मुस्लिम आक्रांता वो ने नष्ट करने की कोशिश की। प्राचीन मंदिरो का वो संघर्षमय ईतिहास पढना है तो हमे बाहर निकलना होगा। हमारे लढाई कि केवल शूरवात हूई है। हमे हमारी लढाई लढनी है।