मुझसे मिलने मेरे प्रिय का प्यार आया है
काले बादल नहीं मेरा संसार आया है

छलक रहे थे नयन
आधार पर , थी मुस्कान की रेखा
मैंने बाल उठाते उसको
इस बादल में देखा
झलक गया गोरा शरीर
जो था सावन में लिपटा
जैसे पवन उसे उपवन में
छू लेने को लपका

गति लाया है , जीवन का संभार लाया है
काले बादल नहीं मेरा संसार आया है

घाट लेकर चल पड़ी नवेली
रुनझुन की झंकार है
गहरे पानी में ही गागर
पाती प्रेम की धार है
रिमझिम -रिमझिम मेह बरसता
मोती का श्रृंगार है
बुलबुला कहीं फूट न जाए
तेरी पैनी धार है

कुछ कहने को तुझसे यह अधिकार लाया है
काले बादल नहीं मेरा संसार आया है

मुकेश पाण्डेय

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