हमेशा सस्ते जहर बोने वाले द वायर नाम के पोर्टल ने एक खबर किया है जिसका शीर्षक है- “भारतीय सेना के बैंड ने बजाया ओम जय जगदीश हरे.. सेना में हिंदुत्व के बढ़ते प्रभाव को देख कर पूर्व सैनिक सदमे में आये”
विशुद्ध वामपन्थी एजेंडे और कार्यशैली में रँगा हुआ गिरोह का सदस्य इस द वायर के पप्पुओं के ज्ञान पर तरस आता है और इसमें थोड़ा इजाफा हो जाना बनता है। इन एजेंडाखोरी करने वाले चवन्नियों को यह जानकारी होनी चाहिए कि :
भारत देश में मात्र भारतीय सेना ही एक ऐसा सरकारी संस्थान है, विभाग है जिसमें धार्मिक कर्मकांडियों की बाकायदा रैंकिंग के साथ नियुक्ति होती है। पंडित, मौलवी, ग्रंथी, पादरी और जरूरत पड़ने पर अन्य भी।
भारतीय सेना ही है जिसका आधिकारिक युद्धघोष जय बजरंग बली, राजा रामचन्द्र की जय से लेकर बोले सो निहाल, सत श्री अकाल तक है। आइये जरा विस्तार से एक बार फिर फिर याद कर लिया जाय भारतीय सेना के युद्धघोषों को :
- बिहार रेजिमेंट ‘जय बजरंग बली’
ये भारतीय सेना की सबसे पुरानी इंफ़ेंट्री रेजिमेंट है जिसका गठन सन 1941 में हुआ। हेडक्वार्टर बिहार के दानापुर में है। बिहार रेजिमेंट वही है जिसने जून 2020 में ‘गलवान घाटी’ में चीनी सेना को धूल चटाई थी। - गोरखा रेजिमेंट ‘जय मां काली, आयो गोरखाली’
भारत की आज़ादी के बाद भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ जिसके तहत ‘ब्रिटिश इंडियन आर्मी’ की 10 गोरखा रेजीमेंट्स में से 6 इंडियन आर्मी का हिस्सा बन गई। - सिख रेजिमेंट ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल’
सिख रेजिमेंट ने ‘कारगिल युद्ध’ के दौरान ‘टाइगर हिल’, ‘हेलमेट’ और ‘इंडिया गेट’ जो टाइगर हिल का पश्चिमी हिस्सा है, वहां से दुश्मनों को को मार भगाया था। इस रेजिमेंट के नाम 1652 गैलेंट्री अवॉर्ड्स हैं। - राजपूताना राइफ़ल्स ‘राजा राम चंद्र की जय’
राजपूताना राइफ़ल्स भारतीय सेना की सबसे पुरानी राइफ़ल रेजीमेंट है जिसका गठन सन 1775 में हुआ था। आज़ादी के बाद से ये रेजीमेंट ही पाकिस्तान के ख़िलाफ़ मोर्चा लेती आई है।
कुमांऊ रेजिमेंट ‘कालिका माता की जय’, ‘बजरंग बली की जय’, ‘दादा किशन की जय’ ‘ज्वाला माता की जय’।
कुमांऊ रेजीमेंट की स्थापना सन 1813 में हुई थी. देश की सबसे पुरानी रेजिमेंटों में से एक।
- जाट रेजिमेंट ‘जाट बलवान, जय भगवान’
ये एक इन्फेंट्री रेजिमेंट है। इस रेजिमेंट ने सन 1839 से 1947 के बीच 19 युद्ध सम्मान और आज़ादी के बाद 5 युद्ध सम्मान अपने नाम किए हैं। ये रेजीमेंट अब तक 8 महावीर चक्र, 8 कीर्ति चक्र, 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना मेडल हासिल कर चुकी है। - पंजाब रेजिमेंट ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ और ‘बोल ज्वाला मां की जय’
इंडियन आर्मी की सबसे पुरानी रेजिमेंट्स में से एक जिसकी स्थापना ‘ब्रिटिश इंडियन आर्मी’ के तहत सन 1947 में हुई थी। ये रेजिमेंट अब तक कई युद्धों में हिस्सा ले चुकी है और हमेशा अजेय रही।
-मद्रास रेजिमेंट ‘वीर मद्रासी, अडि कोल्लू, अडि कोल्लू’
मद्रास रेजिमेंट सेना की सबसे पुरानी इन्फेंट्री रेजिमेंट है। इसकी स्थापना सन 1750 में हुई थी। इस रेजिमेंट ने ‘ब्रिटिश इंडियन आर्मी’ के साथ मिलकर कई योद्धों में हिस्सा लिया और आजादी के बाद भी यह सेना का अभिन्न अंग बन गई।
इसी तरह.. गढ़वाल राइफल्स का युध्दघोष ‘बदरी विशाल की जय’, डोगरा रेजिमेंट का ‘ज्वाला माता की जय’, मराठा लाइट इन्फेंट्री का ‘बोल श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की जय’, ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स का गरुण हूँ बोल प्यारे जैसे युध्दघोष आधिकारिक हैसियत रखते हैं।
इसलिए भारतीय सेना द्वारा ओम जय जगदीश हरे बजाना उसकी परंपरा में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय चरित्र के रूप में है और उसकी इस परंपरा, चरित्र को आधिकारिक ही नहीं बल्कि संवैधानिक संरक्षण मिला हुआ है।
ऐसे में देश के बहुसंख्यक हिन्दू धर्म के खिलाफ अपनी वैचारिक, मजहबी नफरत के चलते भारतीय सेना तक के खिलाफ जहरीले एजेंडे चलाना भारत की आत्मा के प्रति गिरोहों की अज्ञानता ही कहा जायेगा। साथ ही ऐसे शातिराना चवन्नीछाप हरकतें देश में असली सांप्रदायिकता फैलाने की जिम्मेदार हैं।
(अवनीश पी. एन. शर्मा)
एडिटर-इन-चीफ