इस्लामाबाद
पाकिस्तान अपने सदाबहार दोस्त चीन की तरह ही बलूचिस्तान में बलूच संस्कृति और पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहा है। यहां पर पाकिस्तान आर्मी ने चीन की तरह डिटेंशन कैंपों का निर्माण किया है। जिसमें आत्मसमर्पण करने वाले बलूच उग्रवादियों का जमात ए इस्लामी जैसे कट्टर संगठन ब्रेन वॉश करते हैं। यहां इन उग्रवादियों की बलूच पहचान को खत्म कर उन्हें ‘धार्मिक देशभक्त’ बनाया जाता है। ठीक ऐसा ही काम चीन भी शिनजियांग के उइगुर मुसलमानों के साथ करता है।

घोटाले वाले बाजवा ने शुरू किया था यह अभियान
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में पाकिस्तान आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) असीम सलीम बाजवा ने विवादास्पद पुनर्वास कार्यक्रम को शुरू किया था। इसका प्रमुख उद्देश बलूच उग्रवादियों की जातीय पहचान को खत्म करना था। क्योंकि, ये लोग चीन के सीपीईसी प्रोजक्ट के खिलाफ हथियार उठाए हुए थे। असीम सलीम बाजवा उस समय पाकिस्तानी सेना की दक्षिणी कमान के प्रमुख थे। जिन्हें इस काम के एवज में 60 अरब डॉलर के सीपीईसी प्रोजक्ट का चेयरमैन बनाया गया।

बाजवा ने बनाई 40 मिलियन डॉलर की संपत्ति
बाजवा को लेकर हाल में ही एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें उनपर सीपीईसी प्रोजक्ट का चेयरमैन रहते घोटाला करने और अरबों की दौलत बनाने का आरोप लगा है। बाजवा के परिवार ने उनके सेना में रहने के दौरान और उसके बाद अब तक 99 कंपनियां और 133 रेस्टोरेंट बना लिए हैं। फैक्‍ट फोकस की रिपोर्ट के मुताबिक बाजवा और उनके परिवार का यह आर्थिक साम्राज्‍य 4 देशों में फैला हुआ है, जिसकी कुल कीमत 40 मिलियन डॉलर से ज्यादा है।

अबतक 178 उग्रवादियों का किया गया ब्रेनवॉश
पाक सेना ने बलूच उग्रवादियों के ब्रेन वाश के लिए सबसे पहले उम्मेद-ए-नउ नाम से सेंटर बनाया था। जिसे बाद में दरपेश नाम दिया गया। बलोची में दरपेश का मतलब उजाला होता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस सेंटर में दिसंबर 2018 से मार्च 2019 तक 50 बलोच उग्रवादी रखे गए थे। दूसरा बैच 128 उग्रवादियों का था जिसे अप्रैल-जुलाई 2019 के बीच प्रशिक्षित किया गया।

जमात ए इस्लामी सिखाता है धार्मिक कट्टरता
पाकिस्तानी सेना इन उग्रवादियों के ब्रेनवाश के लिए हरकत उल मुजाहिद्दीन और जैश ए मोहम्मद के पैतृक संगठन जमात ए इस्लामी का सहारा लेता है। जमात ए इस्लामी कट्टरवाद को फैलाने और नए आतंकी संगठनों को पैदा करने का काम करता है। इसके आतंकी पाकिस्तान सेना के इन शिविरों में जाकर आत्मसमर्पण कर चुके उग्रवादियों का ब्रेन वॉश करते हैं। जिससे ये उग्रवादी बलूचिस्तान की मांग छोड़ पाकिस्तान के आतंकी एजेंडे पर चलने लगते हैं।

मुकेश पाण्डेय

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