बीत गयी वो शाम,
आज नया आगाज़ है,

आँखों में नये सपने हैं,
होठों पे नये नगमें हैं.

धड़कन में एक दस्तूर है,
साँसों में नया सुरूर है,

उम्मीदोँ की नयी बहार है,
बदल रहा संसार है.

अपनों का एक साथ है ,
गैरों पर भी विश्वास है।

नए रौशनी की दरकार है ,
अँधियारा मिटने को तैयार है।

मुकेश पाण्डेय

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