अभिनय सम्राट दिलीप कुमार नही रहे। भारतीय सिनेमा के ट्रेजेडी किंग का महाप्रयाण भारतीय फिल्म जगत की बड़ी क्षति है। दिलीप कुमार हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता थे जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रहे। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे ‘ट्रेजिडी किंग’ भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया। पेशावर में 11 दिसंबर 1922 को जन्‍में यूसुफ की आज भी किस्‍सा ख्‍वानी बाजार में हवेली है। मौजूदा समय में ये खैबर पख्‍तूनख्‍वां में आती है। दिलीप कुमार काफी समृद्ध परिवार से ताल्‍लुक रखते हैं। उनके पिता न सिर्फ वहां के बड़े जमींदार थे बल्कि फलों के बड़े विक्रेता भी थे। आपको यहां पर ये भी बता दें कि राजकपूर और दिलीप कुमार बचपन के दोस्‍त थे। 1930 में दिलीप कुमार का परिवार चैंबूर में आकर बस गया था। दिलीप कुमार के जन्म का नाम मुहम्मद युसुफ़ खान है।

Dilip Kumar Birthday: That's why Dilip Kumar rejected the big offer of the  Oscar-winning film? - Kalam Times

उनका जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान मे) में हुआ था। उनके पिता मुंबई आ बसे थे, जहाँ उन्होने हिन्दी फ़िल्मों में काम करना शुरू किया। उन्होने अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार कर दिया ताकि उन्हे हिन्दी फ़िल्मो में ज्यादा पहचान और सफलता मिले। दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 में विवाह किया। विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो की 22 वर्ष की थीं। 1980 में कुछ समय के लिए आसमां से दूसरी शादी भी की थी। 1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया। 1995 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1998 में उन्हे पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ भी प्रदान किया गया।

‘मुगले आजम’, ‘मधुमती’, ‘देवदास’ और ‘गंगा जमुना’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपने यादगार अभिनय के लिए याद किए जाने वाले दिलीप कुमार और उनकी वाइफ सायरा बानो बॉलीवुड के सबसे पुरानी जोड़ी में से एक है। दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी 11 अक्टूबर 1966 को हुई थी। सायरा दिलीप से 22 साल छोटी हैं। हालांकि शादी के 50 साल के बाद भी दोनों की कोई संतान नहीं। लेकिन क्या आपको पता है कि दिलीप कुमार बेऔलाद क्यों रहे?

दम घुटकर हुई बच्चे की मौत
दिलीप कुमार ने इस बात का खुलासा अपनी आत्मकथा ‘द सबस्टांस एंड द शैडो’ में किया था। बुक में दिलीप कुमार ने कहा है, “सच्चाई यह है कि 1972 में सायरा पहली बार प्रेग्नेंट हुईं। 8 महीने की प्रेग्नेंसी में सायरा को ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई। इस दौरान पूरी तरह से डेव्लप हो चुके भ्रूण को बचाने के लिए सर्जरी करना संभव नहीं था। आखिरकार दम घुटने से बच्चे की मौत हो गई।” उनके मुताबिक इस घटना के बाद सायरा कभी प्रेग्नेंट नहीं हो सकीं। हालांकि हमें बाद में पता चला कि सायरा की कोख में बेटा था।

1980 में दिलीप कुमार ने आसमा रहमान नाम की महिला से दूसरी शादी की थी। इस शादी से दिलीप और सायरा के रिश्ते में दूरियां आ गई थी।आसमां और दिलीप कुमार की मुलाकात हैदराबाद में एक क्रिकेट मैच के दौरान हुई थी। इसके बाद दोनों का अफेयर लंबे समय तक चला था। लोगों के सवाल से बचने के लिए दिलीप कुमार ने घर से निकलना तक छोड़ दिया था। कहा गया कि आसमां दिलीप साहब को धोखा दे रही थीं। इस वजह से उन्होंने आसमां को तलाक दिया और वापस सायरा की ओर लौट आए।आसमा रहमान के साथ अपने अफेयर का जिक्र उन्होंने अपनी बायोग्राफी ‘द सबस्टांस एंड द शैडो’ में किया है।

दिलीप कुमार का जन्म लाला गुलाम सरवार के घर हुआ था जो फलों के व्यापारी थे। पेशावर में उनके पिता के बाग थे।दिलीप कुमार 12 भाई- बहन थे. उनकी पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ थी, जो 1944 मे आई। दिलीप को 1949 मे आई फिल्म अंदाज की सफलता से फेम मिला। इस फिल्म मे उन्होने राज कपूर के साथ काम किया था।

Dilip Kumar leaves behind a legacy to cherish forever; here are few scenes  from his movies to WATCH | Zee Business

उनकी पहली फ़िल्म ‘ज्वार भाटा’ थी, जो 1944 में आई।1949 में बनी फ़िल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई, इस फ़िल्म में उन्होने राज कपूर के साथ काम किया। दिदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मो में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे ट्रेजिडी किंग कहा गया। मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई। यह फ़िल्म पहले श्वेत और श्याम

थी और 2004 में रंगीन बनाई गई। उन्होने 1961 में गंगा-जमुना फ़िल्म का निर्माण भी किया, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया।

1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होने कम फ़िल्मो में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फ़िल्मे थी: विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991)। 1998 में बनी फ़िल्म किला उनकी आखरी फ़िल्म थी।उन्होने रमेश सिप्पी की फ़िल्म शक्ति में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। इस फ़िल्म के लिए उन्हे फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला।

पल्लवी पाण्डेय

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