जहाँ – जहाँ कुछ करे के पहल होई
उहें – उहें केहू के लहल होई
जहाँ से उजाड़ल गइल ह आजु फूस
उहें खड़ा काल्हु कवनो ‘महल’ होई
नीचे जे झाँकेला ऊपर से लोग
कुछ गाँव गंगा के बाढ़ में दहल होई
आजु जवन गइल ह टूट फेरू लोगे
ऊ जरूर आपन सपना रहल होई
जहाँ – जहाँ कुछ करे के पहल होई
उहें – उहें केहू के लहल होई
जहाँ से उजाड़ल गइल ह आजु फूस
उहें खड़ा काल्हु कवनो ‘महल’ होई
नीचे जे झाँकेला ऊपर से लोग
कुछ गाँव गंगा के बाढ़ में दहल होई
आजु जवन गइल ह टूट फेरू लोगे
ऊ जरूर आपन सपना रहल होई