सभा में आम हाल के चर्चा जे आ गइल
ग़ज़ल में साँच बतिया अचके कहा गइल
चहुँ ओर शोर बा कि नया भोर आ रहल
अधरतिये बिना तेल के दियरी बुता गइल
:max_bytes(150000):strip_icc()/impressionism-image-of-seascape-paintings-with-sunlight-background--modern-art-oil-paintings-with-boat--sail-on-sea--1011385250-94dda8515bb24a97885a38b1e4c22fcd.jpg)
बान्हे के बान्हS अबहीं, होते रहल विचार
असों त फेरू बाढ़ में सब कुछ दहा गइल
उपजल अनाज एतना, उनकर छपल बयान
कई दिन, कई रात भूखे सहा गइल
सद्भाव होखे कायम, समिति बन रहल
तबहीं त कतहीं केहू भी दंगा करा गइल