यह स्त्री

सब कुछ जानती है

पिंजरे के बारे में

जाल के बारे में

यंत्रणा-गृहों के बारे में

उससे पूछो।

पिंजरे के बारे में पूछो,

वह बताती है

नीले अनंत विस्तार में

उड़ने के

रोमांच के बारे में।

जाल के बारे में पूछने पर

गहरे समुद्र में

खो जाने के

सपने के बारे में

बातें करने लगती है।

यंत्रणा-गृहों की बात छिड़ते ही

गाने लगती है

प्यार के बारे में

एक गीत।

रहस्यमय हैं इस स्त्री की उलटवासियाँ

इन्हें समझो।

इस स्त्री से डरो। स्रोत :

  • पुस्तक : कवि ने कहा (पृष्ठ 15)
  • रचनाकार : कात्यायनी
  • प्रकाशन : किताबघर प्रकाशन
  • संस्करण : 2012
मुकेश पाण्डेय

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