मुसलमानों के धर्म इस्लाम का मानना है कि अल्लाह ने पैगम्बर मुहम्मद साहब के माध्यम से एक किताब आसमान से भेजी, जिसका नाम कुरआन है। कुरआन में अल्लाह ने मुसलमानों के लिये आदेश भेजे हैं कि उन्हें क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये तथा काफिरों के लिये चेतावनी भेजी है कि वह बहुदेववाद अथवा मूर्तिपूजा अर्थात बुतपरस्ती छोड़ कर मुसलमान बन जायें, नहीं तो उनको भयानक कष्टों और अपमानों को झेलना पड़ेगा।

अल्लाह काफिरों को यह कष्ट तथा अपमान पहले मुसलमानों को हाथों से दिलवायेगा। कुरआन में अल्लाह के आदेश हैं कि यह काफिर या तो मुसलमान बना लिये जायँ अथवा मार डाले जायें। लेकिन जो किसी कारणवश जिन्दा बच जायँ, तो उनकी जान बचाने के बदले उनसे जिज़या कर वसूल किया जाय, उन्हें हर प्रकार से कुचलकर रखा जाय और अपमानित कर कष्ट दिये जायँ। कुरआन में अल्लाह के यह आदेश आयतों के रूप में समय-समय पर मुहम्मद साहब के माध्यम से उतरते रहे। मुसलमानों की एक ही धार्मिक पुस्तक कुरआन है, जिसमें उपदेश न होकर, अल्लाह के आदेश हैं। जिनकी मुसलमानों द्वारा अवहेलना नहीं की जा सकती। इस्लाम का अर्थ ही है ‘अल्लाह के आदेशों के सामने आत्मसमर्पण

काफिर कौन हैं?

इससे पहले कि हम यह बतायें कि कुरआन में अल्लाह के यह आदेश क्या हैं ? सबसे पहले जान लीजिये कि काफिर का मतलब क्या है? अल्लाह के अलावा किसी अन्य देवी, देवता की साकार या निराकार पूजा करने वाले, मनुष्य, गुरू अथवा ग्रन्थ पूजा करने वाले, अवतारों और पुनर्जन्म को मानने वाले लोग, काफिर हैं। इस प्रकार इस देश में सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म तथा पारसी धर्म को मानने वाले सभी लोग, काफिर हैं। इन्हें मुन्किर और मुश्रिक भी कहते हैं। ये खुदा के खिलाफ बागी हैं, खुदा के दुश्मन हैं। एक ही अल्लाह की भेजी हुई किताबें तौरात, इंजील और कुरआन को मानने वाले यहूदी, ईसाई और मुसलमान आपस में किताबिया भाई कहलाते हैं। लेकिन कुरआन में अल्लाह की आयतों पर विश्वास करने से इन्कार करने वाले ईसाई और यहूदी लोग, भी काफिरों की तरह मुन्किर (इन्कारी) कहलाते हैं। मुसलमानों के साथ कपट करने वाले को मुनाफिक (कपटाचारी) कहा जाता है।

मक्का में स्थित काबा पहले मन्दिर था

दुनियाँ भर के मुसलमानों के लिये सबसे पवित्र स्थान मक्का में स्थित काबा, जहाँ मुसलमान हज करने जाते हैं, पहले काफिरों का मन्दिर था। जिसमें ३६० बुतों अर्थात मूर्तियों की पूजा होती थी। अल्लाह के आदेश से पैगम्बर मुहम्मद साहब के नेतृत्व में जिहाद करके काबा से उन मूर्तियों तथा मूर्तिपूजक काफिरों का सफाया कर दिया गया। वह मूर्तिपूजक काफिर या तो तौबा (प्रायश्चित) करके मुसलमान बन गये अथवा कत्ल कर दिये गये।

मुकेश पाण्डेय

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