सन् १९४७ में भारत के बँटवारे के बाद पाकिस्तान बना और जैसे ही . मुसलमानों को पाकिस्तान के रूप में राज मिला, तो राज पाते ही हिंसावादी मुसलमान, निर्दोष और निहत्थे हिन्दुओं पर भूखे शेर की तरह टूट पड़े। उनके द्वारा पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान में हिन्दुओं को बुरी तरह मारा, काटा, लूटा गया। तब पाकिस्तान से जो रेलगाड़ियाँ भारत पहुँचती थीं, उनमें हिन्दुओं की कटी हुई लाशें ही लाशें लदी होती थीं। जो हिन्दू जान बचाकर भारत भागे, उनमें ज्यादातर की सुन्दर पत्नियाँ, बहन, बेटियाँ मुसलमानो ने छीन ली थीं। हजारों नौजवान लड़कियों और महिलाओं ने दंगाई मुसलमानों से अपनी इज्जत बचाने के लिये उफनती नदियों और कुँओं में छलांग लगा दी।
मुसलमान दंगाइयों द्वारा हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार करने के बाद उनके स्तन काट लिये गये और उनके दुधमुहें बच्चे भालों की नोक पर टांग दिये गये। पानी के लिये रोते छोटे-छोटे मासम बच्चों को पानी की जगह दंगाई मुसलमानों ने अपनी पेशाब पिला दी। इन छोटे-छोटे मासूम बच्चों तक का कत्ल कर दिया गया अथवा उनको जिन्दा ही आग में झोंक दिया गया। कितना हृदय विदारक और वीभत्स दृश्य था, जिसके सामने सौ रावण और कंस के अत्याचार फीके पड़ जाते।

आज भी इस देश में कश्मीर से हिन्दू अपनी जान बचाकर भाग खड़े हुए हैं। कश्मीर में हिन्दुओं के सामूहिक नर-संहार हो रहे हैं। वहाँ हिन्दुओं की औरतों को जबरजस्ती मुसलमान बनाया जा रहा है। हिन्दू लड़कियों और औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार हुए। इंडिया टुडे के अनुसार उनके स्तनों में अल्लाह की मोहर गर्म करके दागी गयी। इंडियन एक्सप्रेस २६-५-९० के अनुसार मुसलमान आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में हिन्दुओं के हाथ-पैर काटे गये, उनकी आँखें निकाली गयीं। जम्मू की डोडा जिला की रामवन तहसील के सुम्भड़ गाँव में पाकिस्तान समर्थक मुसलमान आतंकवादियों ने ग्रामवासियों को इकट्ठा कर उनके हाथ-पैर बाँध कर पहले उन्हें बुरी तरह पीटा, फिर उनमें से कुछ युवकों को सब के सामने छुरे से बकरे की तरह हलाल कर उनका मांस उनके परिवार वालों के मुँह में हँसा। हिन्दुओं को जबरजस्ती गाय का खून पीने के लिये मजबूर किया। (पाञ्जन्य १९-६-९४) महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार कर उनके स्तन काट लिये गये।

अनन्तनाग के सुप्रसिद्ध विद्वान सर्वदानन्द शास्त्री के मस्तक पर एक मोमबत्ती जलाकर उनको तड़पाया गया, फिर एक-एक अंग काट कर मौत के घाट उतार दिया गया। कश्मीर से खण्डीखास गाँव में महन्त बजना गोस्वामी को मुसलमान आतंकवादी २७ अप्रैल १९९० को आश्रम से पकड़ कर ले गये पहले उनका मुँह सिला गया, फिर पेड़ पर उलटा लटका कर फाँसी लगा दी गयी और शव को चार दिनों तक पेड़ में लटकते रहने दिया। चौथे दिन एक हिन्दू सिपाही ने उसे उतारा तो उस सिपाही को भी बाद में गोली मार दी गयी। (पाञ्जन्य ५-८-९०) कश्मीर में हिन्दुओं को पकड़ कर उनके शरीर का पूरा का पूरा खून निकाल लिया जाता है, जो मुसलमान आतंकवादियों के इलाज में काम आता है और पूरा खून निकाल लिये जाने से मर गये इन हिन्दुओं को सड़क के किनारे या झेलम नदी में फेंक दिया जाता है। इस तरह की सैकड़ों लाशें बरामद हो चुकी हैं। (टाइम्स ऑफ इन्डिया, मुम्बई २०-८-९०) यह नमूना मात्र है। कश्मीर में इस तरह की घटनाएँ रोज हो रही हैं। इसीलिये वहाँ से हिन्दुओं को अपनी अरबों की सम्पत्ति छोड़ कर भागना पड़ा। वे कश्मीरी हिन्दू, जो कल तक करोड़पति थे, आज भिखारी बन कर पूरे भारत में ठोकरें खाते फिर रहे हैं। भविष्य में ऐसी दुर्दशा पूरे देश के हिन्दुओं की होने वाली है।