ध्यान रहे रमजान के महीने में ही मुस्लिप माफिया सरगना दाऊद इब्राहीम गिरोह द्वारा मुम्बई में बम विस्फोट करा कर सैकड़ों काफिर हिन्दुओं को मार डाला गया। क्योंकि यह जिहाद अर्थात् काफिरों के विरुद्ध हल्ला बोलने का महीना है। जबकि कुरआन की जानकारी न होने के कारण सभी अखबारों में सम्पादकीय लिखा जा रहा था कि इस पवित्र महीने में मुसलमान ऐसा नहीं कर सकते। जब मुस्लिम आतंकवादी काठमांडू नेपाल से भारतीय हवाई जहाज का अपहरण कर कान्धार (अफगानिस्तान) ले गये थे, तब भारतीय वार्ताकार दल के श्री विवेक काटजू और श्री अनिल डोभाल, अपहरणकर्ता मुस्लिम आतंकवादियों को समझा रहे थे कि “निर्दोष यात्रियों को बन्धक बनाना इस्लाम के विरुद्ध है।” जिस पर मुस्लिम आतंकवादियों ने जवाब दिया था कि “तुम हमें इस्लाम न पढ़ाओ।” (देखें इंडिया टुडे १९ जनवरी २०००) १ अगस्त, २००० को जब अमरनाथ यात्रा में शामिल
लगभग १०० से अधिक निर्दोष यात्रियों को मुस्लिम आतंकवादियों ने गोलियों से भून दिया। उस समय समाचार पत्रों में कई लोगों के लेख छपे कि हत्यारों ने इस्लाम और हज़रत मुहम्मद की शिक्षाओं को बदनाम किया।
लेकिन वास्तविकता यह है कि भारतीय वार्ताकारों द्वारा बताया गया इस्लाम अथवा समाचार पत्रों का इस्लाम वास्तविक इस्लाम नहीं है। शायद वह इस्लाम को जानते नहीं अथवा जानबूझकर गलत ढंग से उसकी व्याख्या करते हैं। शुद्ध इस्लाम वही है, जो आतंकवादी कर रहे हैं। क्योंकि काफिर और कुफ्र का सफाया करना ही इस्लाम का प्रथम और अंतिम उद्देश्य है। जिहाद ही इस्लाम की ऊर्जा है। आज के मुस्लिम आतंकवादी बचपन से ही मदरसों में कुरआन का गहन अध्ययन कर कुरआन के आदेशानुसार काफिर हिन्दुओं के सफाये के लिये जिस जिहाद को चला रहे हैं। वह कुरआन की परिभाषा के अनुसार अल्लाह के लिये किया गया पवित्रतम और विशुद्ध धार्मिक कार्य है और यही इस्लाम है। अर्थात् अल्लाह के आदेशों (जो कुरआन में हैं) के सामने आत्मसमर्पण। ।
निर्दोष हिन्दुओं (लेकिन इस्लाम के अनुसार शिर्क करने अर्थात् एक अल्लाह के स्थान पर अलग-अलग कई ईश्वरों को मानने के कारण काफिर हिन्दू संसार के सबसे बड़े दोषी हैं। जिन) की हत्या करने वाले मुसलमान आतंकवादी, इस्लाम के सिद्धान्तों के अनुसार आतंकवादी न होकर, इस्लाम के सबसे बड़े सेवक है। जो अल्लाह का ही कार्य कर रहे हैं। जिहाद में काफिरों का कत्ल करने वाले मुसलमानों से कुरआन के पार:९, सूरः८ की १७वीं आयत में अल्लाह ने कहा है कि तम लोगों ने उन (कफ्फार) का कत्ल नहीं किया, बल्कि खुदा ने उन्हें कत्ल किया (अनुवादक-मौ० फ० मो० खाँ सा० जा०, पेज-२८१) लगभग प्रत्येक मुसलमान इस्लाम के इस उद्देश्य को जानता है। लेकिन कुछ हिन्दू लेखक उनके इस उद्देश्य की अपनी तरफ से अलग व्याख्या कर लीपापोती करते रहते हैं। उनकी इस प्रकार की गलत व्याख्या से केवल हिन्दू ही भ्रम में पड़ जाते हैं।
यह लोग मुस्लिम आतंकवादियों के लिये लिखते हैं कि “इन आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता” जबकि सच्चाई यह है कि काफिरों का सफाया करने वाले मुसलमान आतंकवादी, इस्लाम के अनुसार श्रेष्ठ और सच्चे मुसलमान हैं, गाजी हैं। जिनका फिरदौस (श्रेष्ठ स्वर्ग) में इन्तजार हो रहा है।