ऐसे समय में जब पूरा भारत एक ऐसे शत्रु से लड़ रहा है, जो दिखाई नहीं दे रहा, तो कुछ पत्रकार झूठी खबरें फैलाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं झूठी नहीं बल्कि एजेंडा परक खबरें! कल फेक न्यूज़ मास्टर रविश कुमार ने एक खबर साझा की कि एक मुस्लिम युनुस खान ने मुजफ्फरनगर के अनुभव शर्मा का अंतिम संस्कार किया। अनुभव शर्मा की मृत्यु कोविड 19 से हो गयी है और उसके परिजन कोई सामने नहीं आए तो आँख में आँसू लिए टोपी पहने दोस्त युनुस ने चिता को मुखाग्नि दी।” यह खबर देखते ही देखते झूठ फैलाने वालों की वाल पर छा गई। इनमें से रविश कुमार के साथ साथ प्रगतिशील उर्दू और हिंदी शायर इमरान प्रतापगढ़ी मुख्य थे।
रोचक बात यह है कि इमरान प्रतापगढ़ी कहने के लिए उर्दू या हिंदी कवि हैं, पर उनकी वाल पूरी तरह से भाजपा के विरोध से सजी हुई है। सरकार के प्रति हर संभव घृणा उनके पेज से दिखती है। यह समझ नहीं आता कि क्या भाजपा या हिंदुत्व की बुराई करके ही प्रगतिशील बना जा सकता है। इसमें अब एक नई बात और जुड़ गयी है, जो है झूठी और एजेंडा परक मुस्लिम प्रशंसा! कोई भी व्यक्ति अच्छा कार्य करता है तो उसकी प्रशंसा होनी चाहिए, उसके कार्यों की प्रशंसा होनी चाहिए, परन्तु एक वर्ग ऐसा आत्महीनता से भरा हुआ है कि वह उन कार्यों की प्रशंसा करके आत्मसंतुष्टि पाता है, जो दरअसल हुआ ही नहीं होता है। इन्हें आत्महीनता में ही आंनद प्राप्त होता है। तथा यह समझना अत्यंत दुष्कर है कि आखिर ऐसा क्यों है?
तभी एक झूठी खबर पर लहालोट हो गए और फिर जमकर शेयर होने लगी। रविश कुमार वैसे सभी को समाचार चैनल न देखने की सलाह देते हैं, परन्तु वह स्वयं कितना झूठ बोलते हैं, वह नहीं देखते। newsclick के एक पत्रकार एवं क्विंट, अलज़जीरा, फर्स्टपोस्ट, वायर एवं कांग्रेसी अख़बार नेशनल हेराल्ड आदि में नियमित रूप से लिखने वाले काशिफ काकवी ने एक झूठ खबर अमर उजाला में लिखी। यह खबर थी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक 25 वर्षीय युवक अनुभव शर्मा का गत दिवस कोरोना से निधन हो गया था। सोमवार को उसका नदी घाट स्थित शमशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। और मुस्लिम युवक ने अपने हिन्दू दोस्त के अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की।
अनुभव के मित्र शहर निवासी युनुस ने उसके अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की। एक ओर कोरोना के मामलों में परिजन भी अंतिम संस्कार में भाग लेने से डर रहे हैं तो दूसरी ओर युनुस ने मित्रता का धर्म निभाते हुए अंतिम संस्कार की समस्त प्रक्रिया में भाग लिया। उसकी आँखों से टपकते आंसू उसकी दोस्ती के दर्द को बयां करतेगए और यह दृश्य शमशान में हर किसी को व्यथित कर गया।
अब इस भावुक खबर पर लोग ऐसे लहालोट हुए जैसे युनुस ही सब कुछ था। मजे की बात यह कि अमर उजाला ने यह खबर चला दी और उसके परिवार से पूछा ही नहीं। किसी ने भी अमर उजाला से किसी स्रोत की मांग नहीं की। फेक न्यूज़ के लिए गोदी मीडिया कहने वाले रविश ने तो बिलकुल भी इसकी सत्यता जांचने का प्रयास नहीं किया। फिर जब swaraj की पत्रकार स्वाति गोयल ने अनुभव शर्मा के परिवार से बात की तो परिवार की पीड़ा निकल कर आई। कई स्थानीय लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की कि यह पूरी तरह से झूठी खबर थी। यह खबर प्लांटेड है, यह मात्र मृत देह देखकर ही पता लग जाता है क्योंकि कोरोना संक्रमित व्यक्ति का अंतिम संस्कार इस प्रकार नहीं किया जाता, कोरोना प्रोटोकॉल के अंतर्गत होता है। पर इतना दिमाग लगाने के लिए समय कहाँ है, उन्हें तो हिन्दुओं को कोसना है और झूठी खबर चलानी है।
जिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अमर उजाला ऐसी झूठी खबर चलाता है, और बाद में काशिफ ने कल इस विषय में क्षमा मांगते हुए लिखा कि उन्होंने भी अनुभव शर्मा के भाई शरद शर्मा और मोहम्मद युनुस से बात की तो पता चला कि अनुभव की मृत्यु कोविड से नहीं हुई थी और परिवार अंतिम संस्कार के समय उपस्थित था। और वह माफी मांगते हैं कि उन्होंने एक झूठी और भ्रामक खबर अमर उजाला में प्रकाशित की। यहाँ पर प्रश्न अमर उजाला से भी है कि क्या कोई भी ऐसी खबर प्रकाशित कर सकता है। इस झूठे के बाज़ार में और हिन्दू नफरत के बाज़ार में हो ऐसा रहा है कि असली काम करने वाले छिपे रह जा रहे हैं।
जिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अमर उजाला झूठी और एजेंडे वाली खबर चला रहा था, उसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई लोग अपनी जेब से पैसे लगाकर काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक कदम उठाया है शालीमार गार्डन साहिबाबाद में एक मिठाई एवं बेकरी की दुकान, बीकानेर स्वीट्स एंड नमकीन ने! उन्होंने जब यह देखा कि कई ऐसे लोग जो कोरोना से पीड़ित हैं, और उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है तो उन्होंने कोरोना पीड़ितों के लिए निशुल्क भोजन की व्यवस्था की। वह यह कार्य अपने मन से कर रहे हैं और इसके लिए कुछ भी किसी से नहीं ले रहे हैं।
दुकान के प्रोपराइटर श्री अग्रवाल का कहना था कि जब उन्होंने यह सुना कि कई लोग भूखे सो रहे हैं, इस बीमारी के कारण तो अपने क्षेत्र के रोगियों के लिए उन्होंने भोजन व्यवस्था के विषय में सोचा और वह चार दिनों से यह कार्य कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि आज उन्होंने लगभग सौ मरीजों के घर पर भोजन भिजवाया। वह ऐसा क्यों कर रहे हैं इसके उत्तर में उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के निवासियों के कारण ही वह आज इस मुकाम पर हैं, तो अब समय है कि जो प्यार और विश्वास उन्हें इस क्षेत्र की जनता से प्राप्त हुआ है, वह उसे वापस करें। यह मात्र प्यार है और कुछ नहीं!
यह पूछे जाने पर कि वह इसे कब तक जारी रखेंगे, उन्होंने कहा कि जब तक भगवान इसे करवाएँगे।
यह कार्य करने वाले वास्तविक योद्धा हैं, जो बिना अपना लाभ सोचे कार्य कर रहे हैं, उसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, जहां पर रविश एंड गैंग अनुभव शर्मा पर एजेंडा परक खबरें चलाता है।
प्रश्न यहाँ पर उन हिन्दुओं से भी है कि आखिर उनमें इतनी आत्महीनता क्यों है कि आप अपने धर्म को कोसने के लिए किसी भी झूठी खबर का हिस्सा बन जाते हैं? क्या आप स्वयं को वास्तव में हीन मानते हैं या फिर आत्मगौरव का अनुभव नहीं करना चाहते हैं? इस महामारी के हर वास्तविक नायक का सम्मान करना सीखिये! और उन्हें खोजिये नहीं तो मोहम्मद युनुस जैसे गढ़े हुए नायक आपके नायक बन जाएंगे और अपना पैसा लगाकर अपने क्षेत्र की जनता को प्यार लौटाने वाले अग्रवाल साहब अजनबी और गुमनामी के अँधेरे में खोए हुए!