चाँद का मुँह टेढ़ा है : गजानन माधव मुक्तिबोध

नगर के बीचो-बीच आधी रात—अँधेरे की काली स्याह शिलाओं से बनी हुई भीतों...

ग़ज़ल : याद कुछ इस तरह जगाती है

याद कुछ इस तरह जगाती हैटुकड़ों टुकड़ों में नींद आती है मौत की दुश्मनी है पल भर...

प्रायश्चित : भगवती चरण वर्मा

अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी, तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में...

आज तुम्हारी प्यास में ||गीत||

धरती का तृण तृण प्यासा है आज तुम्हारी प्यास मेंसूर्य चंद्र अब तक जीवित हैं एक तुम्हारी आस में

मुझसे मिलने मेरे प्रिय का प्यार आया है ||गीत||

मुझसे मिलने मेरे प्रिय का प्यार आया हैकाले बादल नहीं मेरा संसार आया है छलक रहे थे...

आज मेरी हार ||कविता||

आज मेरी हार तिमिर में तिरती हुईआशा अकेलीमैं नहीं विश्वास ,ठगनी , ठग के बोलीमैं निराशा सी,रुधिर की धार

सत्य की खोज

वो सत्य की खोज से अभी लौटे हैं. करीब एक पखवाड़े बाद. उनके चेहरे पर सत्य का तेज है. जैसे अभी फेयर...

शीघ्रपतन

पालतू बनने के डर से जब कुछ आदमी औरतों की जाँघों...

आज नया आगाज़ है

बीत गयी वो शाम,आज नया आगाज़ है, आँखों में नये सपने हैं,होठों पे नये नगमें हैं.

आधुनिक हिन्दी के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

“निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल “ का उद्घोष करने वाले भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का आज जन्मदिन है. वे आधुनिक हिन्दी के जन्मदाता थे, उनसे...

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