मैने आज से चार वर्ष पूर्व एक लेख लिखा था, जो उस वक्त मोदी जी के भविष्य के व्यक्तित्व की सम्भावनाओ को लेकर था। आज भारत, 2020 के अस्तांचल के साथ जब धरतीपुत्र किसान के नाम पर, भारतहन्ताओं द्वारा, उसकी ही धरती के अस्तित्व को मिटाने के लिए शुरू युद्ध के अभ्युदय का साक्षी बन रहा है तब, भारत के जनमानस को यह कटु सत्य समझना ही पड़ेगा की भारत के प्रधान नरेंद्र मोदी जी, भारत की अस्मिता के साथ किये गए पापों और उन पापों के प्रेणादायकों को अब सुचिता व मर्यादा का कोई अभयदान नही देंगे।

हॉलीवुड के एक मशहूर कलाकार व निर्देशक है क्लिंट ईस्टवुड। वैसे तो वे वेस्टर्न फिल्मों के लिए ज्यादा जाने जाते रहे है लेकिन उनकी फिल्मों की एक खूबी यह रहती है की उनकी फिल्मों में नायक और खलनायक चरित्रों के ‘मानवीय आचरण के अंधकारमय पहलुओं’ को लेकर कोई विशेष अंतर् नहीं होता है। उनके बीच सिर्फ ‘उद्देश्य’ ही एक लकीर होती है, जो नायक को खलनायक से अलग करती है।

आज से 40 वर्ष पूर्व उनकी एक फिल्म “High Plain Drifter” देखी थी, जिसमें हीरो क्लिंट ईस्टवुड थे और वह उनकी पहली निर्देशित फिल्म भी थी।

In praise of High Plains Drifter – Clint Eastwood's shocking, spiritual  western

कहानी अमेरिका के सदूर पश्चिम में, खदानों के पास बसे एक कस्बे की है, जहाँ एक दिन एक अजनबी घुड़सवार आता है। यह कस्बा 19 वी शताब्दी के तमाम उन कस्बों जैसा था, जो 1848 में कैलिफोर्निया में स्वर्ण की खदान मिलने के बाद रातों रात खदानों के पास बस गए थे। इन कस्बों में, नए जीवन की तलाश में अमेरिका के विभिन्न कोनो से हर तरह के लोग आकर बसे थे। नवादा के मरुस्थल को पार कर आये इस अंजाने घुड़सवार को लेकर कसबे वाले सशंकित होते है। इस अजनबी के हावभाव और उसका मौन, लोगो को खटकता है। वह घुड़सवार जब अपनी प्यास बुझाने सैलून जाता है तो स्थानीय तीन बदमाश पीछे लग जाते है। वह जब नाई की दुकान जाता है तो वे उसे उकसाने और परेशान करने लगते है तब वह, बिना उद्दवेलित हुये उनको गोली मार देता है। यह घटना इस अजनबी घुड़सवार के चरित्र की विस्फोटक आक्रमकता को स्थापित कर देती है।

इस फिल्म की कहानी जब आगे बढ़ी है तो पहली घटना जो मुझे खटकी, वह थी, जब एक महिला कैली ट्रेवर्स, इस अजनबी से जान बुझ कर टकराती है लेकिन वो उसकी ओर कोई ध्यान नही देता है। इस उपेक्षा से आहत कैली, इस अजनबी को सार्वजनिक रूप से कस्बे के बीच तिरस्कृत, करती है। इससे आक्रोशित वह अजनबी, कैली को पास के खलिहान में घसीट कर ले जाता है और उससे बलात्कार करता है। कैली शुरू में इस जबर्दस्ती का विरोध करती है लेकिन फिर वह इस अजनबी के प्राबल्य को स्वीकार कर संसर्ग सुख लेने लगती है।

यहाँ पर कहानी फ्लैशबैक मे चली जाती है जिससे पता चलता है की कुछ वर्ष पूर्व इस कस्बे में, स्टेसी ब्रिजेस के दस्यु दल ने जिस होटल में अजनबी रुका है, उसके सामने, सार्वजनिक रूप से कस्बे के फेडरल मार्शल जिम डंकन की कोड़े से मार मार कर हत्या कर दी थी। इस कांड के बाद, स्टेसी ब्रिजेस का गिरोह पकड़ लिया जाता है। लेकिन अब कस्बे वाले चिंतित है क्योंकि ये गिरफ्तार दस्यु, जेल से छूट रहे है और वे वापस कस्बे में आने वाले है।

दस्यु के कस्बे में आने के डर से कस्बे का शेरिफ सैम शॉ, अजनबी से फेडरल मार्शल के रिक्त पद को स्वीकार कर, कस्बे की सुरक्षा करने को कहता है, जिसे वह अस्वीकार कर देता है। दस्यु के आगमन से भयग्रस्त शेरिफ शॉ, नैराषयता में अजनबी से कहता है कि कस्बेवाले उसको कोई भी कीमत देने को तैयार है यदि वह कस्बे की सुरक्षा की जिम्मेदारी का प्रस्ताव स्वीकार कर लेता है। इस पर अजनबी उस प्रस्ताव को इस शर्त पर स्वीकारता है कि कस्बे के लोग उसके सभी आदेशो को मानेंगे। अजनबी, सबसे पहले नाई की दुकान पर काम करने वाले एक ठिगने व्यक्ति, मोरडै को कस्बे का मार्शल और मेयर बना देता है। उसके बाद, वह जिस होटल में रुका हुआ था, वहां से उसके मालिक लेविस बेल्डिंग, उसकी पत्नी सराह व अन्य सभी अतिथियों को होटल से निकाल कर, स्वयं स्थापित हो जाता है। उसका बेल्डिंग दम्पत्ति विरोध करते है लेकिन अजनबी इसको कस्बे की सुरक्षा की रणनीति का हिस्सा बता, अनसुनी कर देता है। यही नही, वह अमेरिका के मूलनिवासी रेड इंडियंस से भेद भाव रखने वाले कस्बे के श्वेत प्रधान समाज की उपेक्षा कर, एक रेड इंडियन परिवार को, होटल के स्टोर से बिना पैसे के सामान दिलवाता है, जहां उनका अब तक प्रवेश वर्जित था। अजनबी कस्बे की सुरक्षा के लिए एकाग्र है लेकिन इस अजनबी के कारण कस्बे में स्थापित संतुलन में हो रहे बदलाव से, कस्बे का ही सभ्रांत वर्ग, इस अजनबी का विरोधी हो जाता है। वे धोखे से एक रात होटल में उसकी हत्या करने का प्रयास भी करते है लेकिन अजनबी चौकन्ना रहता है और वह डायनामाइट से कमरा उड़ा देता है, जिससे होटल का बड़ा भाग टूट जाता है।

यहां अब अजनबी को पता चलता है की कस्बे वाले स्टेसी ब्रिजेस के दस्यु दल से इस लिए डरे हुए है क्यूंकि उन्होंने, उस फेडरल मार्शल की, जो सरकारी जमीन पर उनको अवैध खदान चलाने से रोक रहा था, उसकी हत्या होने दी थी। कस्बे वालो ने अपने अवैध व्यवसाय व उससे पल्लवित इकोसिस्टम को संरक्षित रखने के लिए ही स्टेसी ब्रिजेस को मार्शल की हत्या के लिए उकसाया था और हत्या के बाद फिर उसकी मुखबिरी कर के गिरफ्तार भी करवाया था।

मुझे दूसरी जो घटना खटकी थी, वह तब होती है जब वह अजनबी अमेरिका के मूलनिवासी रेड इडियंस के परिवार को स्टोर से जबरदस्ती सामान दिलवाता है और उस वक्त उसकी मालकिन सराह, इसका विरोध कर, उन्हें स्टोर से बाहर निकालने लगती है। इस पर अजनबी की प्रतिक्रिया बड़ी क्रूर होती है। वह उसको घसीट कर उसके बेडरूम ले जाता है और जबरदस्ती उसके साथ समागम करता है। वो अजनबी बलात कर रहा था लेकिन सराह उसको होने देती है। सराह समागम के बाद, उस अजनबी को बताती है की इस कस्बे में वही एक अकेली थी, जिसने मार्शल की हत्या को रोकने का प्रयास किया था। वह अजनबी से कहती है की उसको यह विश्वास हो चला है कि यह कस्बा तब तक सुखी नहीं रह सकता है, जब तक कस्बे के बाहर एक अनाम कब्र में दफन मार्शल की आत्मा को शांति नहीं मिलती है।

अजनबी, सराह के आत्मग्लानि और डर के भावों को बिना किसी मनोभाव के आत्मग्रसित करता है।

कस्बे की सुरक्षा के लिए अजनबी, सारे कस्बे वालो से हथियार चलाने को तैयार कर उनसे अभ्यास कराता है तो वह पाता है की वे सब अनाड़ी है। वे ऊपर से जितना बड़बोले है, अंदर से वे खोखले है। इसके बाद वह दस्युओं के आने से पहले, सारे कस्बे को लाल रंग से पुतवा देता है और खुद घोड़े पर सवार हो कर, कस्बे की ओर आने वाले रास्ते पर, दस्युओं का इंतज़ार करने चला जाता है।

घोड़े पर दस्युओं को आता देख कर वह पहाड़ियों में छिप कर, उनपर गोलियों और डाइनामाइट से वार करता है। इस अचानक हुये हमले से ब्रिजेस हतप्रभ रह जाता है। वो, उस अदृश्य अजनबी के अचानक आक्रमण से कुंठित व आक्रोशित हो, कस्बे की ओर बढ़ जाता है। वहां पर जब ब्रिजेस का दस्यु दल कस्बे में पहुँचता है तो कस्बे के भयभीत व संत्रास पीड़ित, अनाड़ी निशानची उन पर गोली चलाते है, जिसके जवाब में स्टेसी ब्रिजेस का दल कस्बे में आग लगा देता है। वह कस्बे में उन लोगो को चुन चुन कर मारता है, जिन्होंने उसकी मुखबरी की थी। जब सारे कस्बे में आग लगी होती है तो सहमे व डरे कस्बेवासी बचने के लिए होटल में इकट्ठा हो जाते है। उसी होटल में स्टेसी ब्रिजेस भी अपने साथियों के साथ पहुंच जाता है।

HIGH PLAINS DRIFTER - Clint Eastwood & Marianna Hill between scenes -  Produced & Directed by Clint Eas… | Clint eastwood movies, High plains  drifter, Clint eastwood

वे लोग जब होटल के अंदर होते है तो रात के अंधेरे में, जलते हुए कस्बे के बीच, एक विचित्र सी आवाज़ सुनाई देती है। ब्रिजेस अपने एक साथी को उस आवाज का पता करने के लिए बाहर भेजता है। उसके बाहर जाने के थोड़ी ही देर बाद, होटल के अंदर बैठे लोगो को बाहर से सिर्फ कोड़े चलने की आवाज़ सुनाई पड़ती है। जब कोड़े की आवाज शांत होती है तो वे बाहर झांकते है तो पाते है की ब्रिजेस का वह साथी जो आवाज के पीछे बाहर गया था वह मरा पड़ा है। इसी प्रकार ब्रिजेस के सभी दस्यु साथी मारे जाते है और तब वह अजनबी सबके सामने आता है। वह स्टेसी ब्रिजेस को कस्बे के बीचों बीच, गोली मार देता है।

फिल्म के अंत में दिखाया है कि लाशो के बीच, जलते हुए कस्बे को छोड़, अजनबी घुड़सवार जाने लगता है तो कस्बे का मार्शल मोरडै, उससे पूछता है, ” मुझे आज तक तुम्हारा नाम नहीं पता, तुम्हारा नाम क्या है?” इस पर अजनबी कहता है,” हाँ, तुम्हे मालूम है” और चला जाता है। फिल्म के अंत में कैमरा मारे गये मार्शल की अनाम कब्र का क्लोस उप लेता है जिस पर उस मार्शल जिम डंकन का अब नाम लिखा होता है।

यह कहानी क्या थी? यह अजनबी नायक था या खलनायक?

मैने जब यह फ़िल्म 1976/77 में देखी थी तब एक दर्शक के रूप में मेरे लिए यह फ़िल्म हॉलीवुड की वेस्टर्न विधा की श्रेठ कृति थी। मुझे इस फ़िल्म ने बड़ा आनंदित किया था लेकिन इसकी कहानी जो कह रही थी, मैं उसका संज्ञान लेने में असफल रहा था। मैं जब थोड़ा परिपक्व हुआ और इस फ़िल्म को 90 के दशक में फिर से दोबारा देखी तो मेरा, कहानी के दूसरे आयामों से परिचय हुआ। मुझे कई दशकों के बाद समझ में आया की यह कहानी वेस्टर्न विधा की पृष्ठभूमि में, प्रतिशोध से आगे की बात कह रही है। यह, उस कस्बे की कहानी कहती है जहाँ अनैतिकता, दुश्चरित्रता व भृष्टाचार का राज था। वह कस्बे के वातावरण की मरीचिका में पतित हुये उसके समाज की कहानी कहती है। वह समाज इतना गल चुका था कि उसने अपने कस्बे के उस मार्शल की हत्या होने दी थी या हत्या पर पर मौन रहा था, जिसने शुचिता, न्याय व विधान की बात की थी। जिसने अवैधता को रोकने की कोशिश की थी। यह कहानी, अजनबी की भी है जो जहाँ मार्शल डंकन के हत्यारे ब्रिजेस गिरोह का काल होता है, वहीं पर वह कस्बे के निवासियों को, उनके पापों के लिए, दण्ड देता है।

वह दो औरतो के साथ बलात्कार ऐसा कर्म भी करता है लेकिन फिर भी वह कहानी का नायक बनकर ही उभरता है। उस अजनबी के उद्देश्य, उसको उस कस्बे के चरित्र से अलग जाकर प्रतिस्थापित करती है। फ़िल्म में वे बलात्कार प्रतीकात्मक थे। पहला बलात्कार उस महिला के साथ था जो उस कस्बे की पतित आचरण की प्रतीक थी और दूसरा उस के साथ बलात्कार था जो उस कस्बे की नपुंसकता, तटस्थता व मौन की प्रतीक थी।

आज का भारत उसी कस्बे की तरह है जिसकी जनता ने अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए, अपने हितों को राष्ट्र के हितों के ऊपर रखने को एक प्रवृति बना लिया है। जहां बहुतों ने जाने अंजाने में, अपनी संकीर्णता, बौद्धिकता व स्वार्थ में राष्ट्र के अस्तित्व की हत्या का सौदा कर लिया है। जहां पूर्व में व्यवस्था चलाने वालों ने अनैतिकता को प्रश्रय व पुरस्कृत किया तो समाज ने उसे अपने दैनिक जीवन में आत्मसात कर, उसे प्रतिष्ठा प्रदान करने में कोई संकोच नही किया है। ऐसे में जब कोई अजनबी, मरुस्थल बन गए स्थापित तंत्र को काट, केंद्रीय भूमिका में आकर, सुरक्षा के दायित्व के प्रति प्रतिज्ञाबद्ध हो जाता है तब, इस कस्बे की प्रतिमूर्ति बने उस राष्ट्र व समाज मे किसी को कोई अपवाद बनने की छूट नहीं मिल पाती है। ऐसा अजनबी अपने दायित्वों के प्रति इतना न्याय्य और प्रतिज्ञा के प्रति इतना एकल हो जाता है कि लोगो को, सिर्फ वर्तमान का ही नही बल्कि पुराने दोषों का भी परिकलन देना पड़ जाता है।

मेरे लिए मोदी जी, वह अजनबी ही है। 2001 से पहले टीवी पर बीजेपी के एक प्रवक्ता से ज्यादा कोई परिचय नही था। 2001 में जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब भी उनकी पृष्टभूमि एक संघ के प्रचारक से ज्यादा नही थी। हम भारतवासियों के लिए उनकी पहचान 2002 में गोधरा कांड के बाद कि घटनाओं से बनी थी। हम लोग तब भी इस अजनबी को नही पहचानते थे लेकिन भारत के अभिजात वर्ग ने उन्हें जरूर इस हद तक पहचान लिया था कि यह व्यक्ति स्थापित व्यवस्था व तंत्र के बाहर का व्यक्ति है। इसीलिये 2002 से ही उनके विरुद्ध सोनिया गांधी के नेतृत्व में चारित्रिक हत्या से लेकर, कलुषतम षणयंत्र व दुष्प्रचार के माध्यम से राजनैतिक हत्या का निरंतर प्रयास किया गया था। मोदी जी जब 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बन कर भारत की अस्मिता व सर्वभौमता की रक्षा व सुरक्षा की शपथ ले रहे थे तब भी भारतवासियों के लिये वे अजनबी थे। उनकी जीवनयात्रा के आज भी कई पड़ाव, कोहरे में छिपे है। जिस प्रकार, अजनबी घुड़सवार का कस्बे में पहुंचना, उस कस्बे का ब्रिजेस दस्यु दल व उसके ह्रासोन्मुख समाज से मुक्त होने का कारक बना था, मैं वैसे ही, मोदी जी का केंद्र में पहुंचना, भारत का उसके हंताओं व व्याधियों से मुक्त होने के कारक के रूप में देखता हूँ।

आज जब भारत की सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान घात लगाए बैठे है तब भारत की सत्ता के केंद्र को अवरुद्ध कर, स्वयं भारत को निष्प्रभावी करने का जो दुष्कर्म हो रहा है, वह भारत के ही लोगों द्वारा ही किया जारहा है। ये सभी द्रोही, भारत को पथभृष्ट कस्बा बनाने वाले व्यवस्थापको और अधम बौद्धियों के संबल से खुल कर आ जुटे है। ये वे ही लोग है जिन्होने शताब्दियों से भारत को बार बार लुटवाया और तुड़वाया है। लेकिन, वर्तमान, भारत के भूतकाल को नही दोहराएगा क्योंकि वर्तमान एक ऐसे अजनबी के नेतृत्व में है, जिसको अनाम कब्र को नाम देने के लिए स्वयं नियति ने भेजा है। इन द्रोहियों की हठधर्मिता और अविवेक उन्हें यह देखने नही दे रही है की जिस अजनबी से वे इतनी घृणा करते है वो उन्हें, उसके प्रतिघात के द्वार पर लाकर खडा कर किया है। उसका प्रतिघात प्रतीक्षा में है और उसे विश्वास है की अराजकता उसके द्वार अवश्य खटखटाएगी। ये लोग, अजनबी को मारने की चाह में कस्बे को जलाएंगे लेकिन अजनबी उसे यज्ञ स्वरूप लेगा, जिसमे जलाने वालो के साथ, उनको संबल देने वालो की आहुति पड़ेगी। हां यह अवश्य है कि इनके साथ अन्य भी जलेंगे लेकिन यह नियति होगी क्योंकि मौन और तटस्थता अप्रसांगिक हो चुके है और अपवाद के लिए अब कोई जगह शेष नहीं रह गयी है।

मेरी बातो से बहुत से लोग सहमत नहीं होंगे और बहुत से लोग मेरी बात ही नहीं समझेंगे लेकिन फिर भी एक बात समझ लीजिएगा कि वर्तमान, सतयुग नही है, यहाँ “सिर्फ उद्देश्य की सार्थकता ही नायक को खलनायक से अलग करती है।”

कृष्ण बड़ा निर्मोही है।

पुष्कर अवस्थी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here