इस्लाम की नजर में कोई भी हिन्दू निर्दोष नहीं है। उनका सबसे बड़ा दोष यही है कि वह काफिर हैं। काफिरों के लिये दो ही रास्ते हैं कि वह या तो मुसलमान बना लिये जायँ अथवा मार डाले जायँ। क्योंकि वे खुदा के खिलाफ बागी हैं और संसार के सबसे बड़े पापी तथा गुनहगार हैं। एक अल्लाह पर, कुरआन की आयतों पर तथा अन्तिम पैगम्बर मुहम्मद पर ईमान (विश्वास) न लाने के कारण ये संसार के सबसे बड़े अन्यायी और अत्याचारी (जालिम) हैं।

इसीलिये कुरआन मजीद में पारः २६, सूरः ४७ की चौथी आयत में मुसलमानों के लिये अल्लाह का आदेश है कि- जब तुम काफिरों से भिड़ जाओ, तो उन की गरदनें उड़ा दो, यहाँ तक कि जब उन को खूब कत्ल कर चुको तो (जो ज़िन्दा पकड़े जायें, उन को) मजबूती से कैद कर लो, फिर इसके बाद या तो एहसान रख कर छोड़ देना चाहिये या कुछ माल लेकर (अनुवादक-मौ० फ० मो० खाँ सा० जा०, पेज-८०७)। ।

पारः १०, सूरः ९ की १४वीं आयत में है कि- उनसे (खूब) लड़ो। खुदा उन को तुम्हारे हाथों से अज़ाब में डालेगा और रुसवा करेगा और तुम को उन पर गलबा देगा (अनुवादक-मौ० फ० मो० खाँ सा० जा०, पेज-२९७) अर्थात ऐ मुसलमानों ! काफिरों से (खूब) लड़ो खुदा उन (काफिरों) को तुम्हारे हाथों से नरक जैसे कष्ट देगा और अपमानित करेगा और तुम (मुसलमानों) को उन पर विजय देगा।

मुकेश पाण्डेय

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