पिछले दिनों सिवान, बिहार के राष्ट्रीय जनता दल के बाहुबली सांसद शाहबुद्दीन की दिल्ली में कोरोना से मृत्यु हो गयी एवं उसका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही कर दिया गया। यह कहा गया कि कोविड 19 के प्रोटोकॉल के पालन के साथ उसे दिल्ली में ही दफ़न कर दिया गया।  इस पर राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से लेकर तेजस्वी यादव तक ने ट्वीट किया था और ट्वीट में भी उर्दू का खूब जमकर प्रयोग किया गया था।

Former RJD MP Mohammad Shahabuddin succumbs to Covid-19 - Coronavirus  Outbreak News

तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया था “हम ईश्वर से मरहूम शहाबुद्दीन साहब की मग़फ़िरत की दुआ करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उन्हें जन्नत में आला मक़ाम मिले। उनका निधन पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है। राजद उनके परिवार वालों के साथ हर मोड़ पर खड़ी रही है और आगे भी रहेगी।“ और फिर “इलाज़ के सारे इंतज़ामात से लेकर मय्यत को घरवालों की मर्ज़ी के मुताबिक़ उनके आबाई वतन सिवान में सुपुर्द-ए-ख़ाक करने के लिए मैंने और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्वयं तमाम कोशिशें की,परिजनों के सम्पर्क में रहें लेकिन सरकार ने हठधर्मिता अपनाते हुए टाल-मटोल कर आख़िरकार इजाज़त नहीं दिया।“

छवि

अंतिम ट्वीट में शासन का हवाला देते हुए कहा था “शासन-प्रशासन ने कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देकर अड़ियल रुख़ बनाए रखा। पोस्ट्मॉर्टम के बाद प्रशासन उन्हें कहीं और दफ़नाना चाह रहा था लेकिन अंत में कमिशनर से बात कर परिजनों द्वारा दिए गए दो विकल्पों में से एक ITO क़ब्रिस्तान की अनुमति दिलाई गयी। ईश्वर मरहूम को जन्नत में आला मक़ाम दे।“

परन्तु आज शाम को खलबली मच गयी! शाहबुद्दीन के बेटे के एक ट्विटर हैंडल से इस आशय का यह ट्वीट किया गया कि यदि उनके पिता को सीवान में ही दफ़न न किया गया तो वो राजद को बर्बाद कर देगा।  हालांकि जैसे ही खलबली मची वैसे ही वह हैंडल बंद हो गया और कहा गया कि वह पैरोडी अकाउंट था।

और फिर एक वीडियो में ओसामा को यह कहते हुए दिखाया गया कि वह झूठा ट्वीट था। खैर वह हो सकता है पैरोडी हो, पर जिस तरह से तेजस्वी यादव को उनकी वाल पर मुसलमान उपयोगकर्ता गाली दे रहे हैं, वह अपने आप में चौंकाने वाला है क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल की पहचान ही मुसलमान हितैषी की रही है। इतिहास गवाह है कि लालू यादव ने हमेशा ही मुस्लिमों के तुष्टिकरण की नीति का पालन किया और यही कारण है कि राम मंदिर के लिए रथ यात्रा करने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी की रथ यात्रा कहीं भी नहीं रुकी थी, बिहार में रुकी थी।

छवि

यही नहीं यह लालू प्रसाद यादव ही थे जिन्होनें अपने मुसलमान वोटों को प्रभावित करने के लिए गोधरा में कारसेवकों के डिब्बे में जान बूझकर लगाई गयी आग की घटना को उनके दवारा ही लगाई गयी आग साबित कर दिया था। लालू यादव ने जो आयोग बनाया था उसकी रिपोर्ट के अनुसार ट्रेन के उस डिब्बे में आग स्वयं कारसेवकों की लापरवाही से ही लगी थी। जब उसे हर तरह से अस्वीकार कर दिया गया, तो उन्होंने वह रिपोर्ट वापस ले ली थी।

इतना ही नहीं उन्होंने मुसलमान और यादव समीकरण के साथ खूब सत्ता की खनक जमाए रखी। पर शाहबुद्दीन की मृत्यु के बाद जिस प्रकार मुसलमान पाठकों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, वह हैरान करने वाली हैं। कुछ का तो यह भी कहना है कि सरकार से राष्ट्रीय जनता दल की कोई डील हो गयी है जिसके अंतर्गत लालू प्रसाद यादव को छोड़ दिया गया और शाहबुद्दीन को मार दिया गया।

एक शमीम चौधरी ने लिखा कि “मैं यह प्रण लेता हूँ कि बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में तेजस्वी,लालू प्रशाद यादव परिवार का ज़मीन स्तर पर बिहार पहुंचकर पुरजोर विरोध करूँगा अगर ख़ुदा ने जिंदगी बाक़ी रखी तो यही कर्तव्य सहाबुद्दीन के लिए मेरी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

छवि

आप भी प्रण लें। अगर आप उसामा के प्रति थोड़ी सी भी हमदर्दी रखते हो।”

सबसे रोचक तो उनकी ट्विटर वाल पर किया गया पोस्ट है कि काफ़िर पर तो विश्वास ही नहीं करना चाहिए! जरा सोचिये जिस पार्टी ने केवल और केवल मुसलमान वोट बैंक की परवाह की और शाहबुद्दीन को हमेशा पुलिस से बचाया रखा, जिनके राजनीतिक छतरे के नीचे शाहबुद्दीन मजहब आधारित राजनीति कर सका और चंदाबाबू के बच्चों को तेज़ाब से नहलाकर भी ऐश का जीवन जीता रहा, उसी पार्टी को अब मुसलमान यह कह रहे हैं कि यह काफिरों की पार्टी है और तेजस्वी यादव पर विश्वास नहीं करना चाहिए।  इस मामले को लेकर जीतन राम मांझी ने भी ट्वीट किया था।

उनके फेसबुक पेज पर लोगों ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा है कि रोहित सरदाना की नॉएडा में मृत्यु हुई थी और उनका अंतिम संस्कार पूरे आदर के साथ हरियाणा में उनके पैतृक गाँव में हुआ था, और यहाँ तक कि हरियाणा के मंत्री अनिल विज भी मौजूद थे, फिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि शाहबुद्दीन के परिवारवाले अपने मन से अंतिम संस्कार नहीं कर सकते?

हालांकि कुछ लोगों ने यह कहने का भी प्रयास किया कि वह फर्जी खाता है, पर लोग सुनने के लिए तैयार नहीं थे और उन्होंने तेजस्वी यादव को केवल एक काफिर करार दिया और यह कसम ली कि अब बिहार से राजद को भी ख़त्म करना है।

किसी ने लिखा कि बिहार के मुसलमानों को भी ये दिन याद रहेगा इसका भी बदला लिया जाएगा। और किसी ने लिखा कि जब हर ओर से आलोचना हुई तब तेजस्वी ने अपना मुंह खोला।  शरीक नामक ट्विटर यूजर ने  भी ऐसा ही कुछ लिखा है

“कही आपने बीजेपी से हाथ तो नहीं मिला लिया…

तुम मुझे लालू दो ज़मानत पे, मै तुम्हे शहाबुद्दीन देता हु अस्पताल में एनकाउंटर करने के लिए, इधर लालू छूटा ।उधर साहेब गए। तेजस्वी की निष्क्रियता ये बताता है”

छवि

यह तो नहीं पता कि वह ट्वीट असली था या फर्जी, पर एक बात तो सत्य है कि अब मुस्लिम तुष्टिकरण का राग गाने वाले हर दल को कट्टर मुस्लिमों की यह स्थिति देखकर सचेत हो जाना चाहिए कि आप कट्टर मुस्लिमों के लिए काफिर ही रहेंगे।

हालांकि राजद जरूर इसे छोटा मामला बता रहा है, पर यह कोई छोटा मामला न होकर एक ऐसा मामला है जिसे भारत के हर दल को स्पष्ट देखा जाना चाहिए, क्योंकि जैसा जाकिर हुसैन का कहना है कि एक काफ़िर अच्छा तो हो सकता है पर उसे जन्नत नहीं मिल सकती क्योंकि वह काफिर है। इसलिए यदि आप सिर भी कटा देंगे कट्टर मुस्लिमो के लिए तो भी वह खुश नहीं होंगे। पर प्रश्न यही है कि दल वाकई में बदलेंगे या नहीं? या मुस्लिम तुष्टिकरण करते रहेंगे और हिन्दू मतदाताओं को लॉलीपॉप थमाते रहेंगे?

मुकेश पाण्डेय

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here